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गुलाबो

  *अप्रेल फूल स्पेसल***(नादानी) **गुलाबो** गुलमोहर के पेड़ के नीचे गुलाबो रहती थी मां नहीं बाप नहीं उसको किसी का साथ नहीं सारे ग़म अकेले सहती थी पेड़ के साए के नीचे पलकर बढ़ती थी भूख लगी तो नन्हीं बच्ची  दुनिया का मुँह तकती थी स्नेह प्यार कब जाना उसने लोगों की नजरों में उपेक्षा ही पढ़ती थी...... बीता बीता बचपन आई जवानी  लड़की हो गई रूप की रानी  फूल दार टॉप के नीचे फटी जीन्स थी मोटी फूलों जैसी कोमल लड़की की कमर से नीची चोटी उसकी रूप की चर्चा हर जुबां पर रहती थी.......   रहते थे उसी शहर में बी आर पांडे  यानि बालक राम..... सीधे सादे बंदे थे वे  अपने काम से काम बी आर को लोगों ने कर दिया था बुद्धू राम  इस तरह प्रचलित था जग में  उनका नाम  शहर में अपना ऑटो रिक्शा चलाते थे काम करके सीधे अपने घर आते थे .... गर्मी की तपती दोपहरी बेहाल थे बुद्धू राम पसीने से लथपत  था न एक पल भी आराम देख गुलमोहर की शीतल छाया रोक के ऑटो अपना बुद्धू सुस्ताया देखा!! गुलाबो पेड़ के नीचे झूला झूल रही थी गर्मी की उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी नज़रे मिलीं लड़की मुस्काई बु...